वाणी
(1)
वह जोगी गुरु जगत को जाके बाप न माई।
आपु अपरछंड है रहयौ, दुनिया धुंध लगाई।।
जोगी के अंग भभूति है कांधे मृग छाला।
आयौ नगर जोगी फिर गयौ, काऊ देखोरी माई ।।
कोई तो बतावे जोगी आवतौ जाकूं लक्ष बधाई।
देखन अति मन चाव है, कब देखूं री माई ।।
कोई तो बतावै जोगी आवतौ जाकी में दासी ।
सूरज से सेवा करें जाके चंदा चिरागी।।
वा जोगी की झोरिया हीरा मानिक भरियां ।
मन आवे जाय देत है ऐसौ दिल दरिया।।
जोगी चारों जुग चैफर करें, चन्दा सूरज पासा।
खेलें गोपी चन्द भरतरी, आलम देखे तमाशा।।
पानन छाई जोगी राबटी, फूलन सेज बिछाई ।
छोटो सौ तकिया लगि रहयौ धरती असमाना।।
आपु तो चतुर सुजान है, अलमस्त दिवाना।
शाह महाबन बीन है कह कह समझावे।।
न्हाई धोय जोगी ना मिले, दिल धोवे तो पावे।
दिल धोये जोगी ना मिले, दिल खोजें तो पावे।।
साध संगति जोगी रमि रहयौ, सतगुरु भेद बतायौ ।
साध संगति मिलि बैठ के जुग चैथे ही पायौ ।।
(2)
एक हमने देखा रे राम विचारा, जाको रमि रहा सकल पसारा-टेक ।
दुनिया बाकू सहस बतावे हमने एक ही देख्या।
एक सूं एक अनेक सू एका देखम देख विवेका।।
एक हमने…………
अनदेखे को बहुत अंदेशा, अचरज है मोहि भारी,
ना जानू वह कौन रंग है, पुरुष कहूँ के नारी ।।
एक हमने… कोई कहत पाताल रहत है, कोई असमान बतावें।
याद किये से आन पर घटें, दो सत हाथ बिकावें ।।
एक हमने………
कोई कहे दशरथ कौ है जायौ, कहो दशरथ किन जायौ।
वाकी सुरता सब ही मे रम रही, यौनी संकट नहिं आयौ ।।
एक हमने………….
पखा पखी में जगत भुलाना, निर्भय की गति न्यारी।
मूरत मांहि अमूरत खेले, जाकी मैं बहिहारी।।
एक हमने…………
कोई कहे पंथ मेरा ही जोया, मेरा ही राम निराला।
नितानंद जी कूं एक ही दरस्या, दम दम कौ प्रतिपाला।।
एक हमने………..