सतगुरु बाबा उमेशदास जी साहिब
सतगुरु बाबा रामकिशन जी साहिब के उपरांत पं. श्री रामजी लाल साध जी के यहाँ, सम्बत 2027 मास भाद्रपद, दिन गणेश चौथ (5 सितम्बर सन् 1970) को माता कमला देवी के गर्भ से अवतरित सतगुरु उमेश दास जी साहिब के रूप में 9 सितम्बर 1984 (सं. 2041) को साधपुरा गद्दी पर साध चिताने व उनके कल्याण के लिये आसीन हुये। सतगुरु बाबा उमेश दास जी साहिब साक्षात् परमानन्द हैं जो स्वयं सच्चिदानर स्वरूप है, आनन्द के विग्रह है और मूर्तिमान आनन्द हैं। जिनके सानिध्य मात्र से जीव आत्मा चिदानन्द, चिन्मय और परमानन्द स्वरूप हो जाता है। उन परम आराध्य सतगुरु बाबा उमेश दास जी साहिब के चरणों की बार-बार वन्दना।
साध धर्म के निर्गुण व सगुण दोनों रूप वर्तमान है। निराकार परमब्रह्म-सत अवगत् के रूप में तथा सगुण रूप में उनकी इच्छा से सतगुरु प्रकट होते रहे हैं। सतगुरु बाबा उमेश दास जी साहिब इसी निराकार परम ब्रह्म सत् अवगत् मेहरबान के साकार रूप में प्रकट है। वे समस्त संसार को परम सत्य का परिचय कराते हुये जीव शरीर को चेतन करने साध पंथ की परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं। यह सिद्ध ही है कि बाबा जी साहिब पराशक्ति के निरन्तर सम्पर्क में है। और उनके प्रेम, भक्ति, ज्ञान ओर योग की धाराओं के स्रोत प्रवाहित हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि उनके सम्पर्क में आने वाले हर जीव शरीर की आत्मा भक्ति-भाव से ओत-प्रोत होकर अनजाने ही उनसे जुड़कर रह जाती है और बरबस उनकी ओर खिंची चली जाती है। सहस्रों चेहरों की विविधता में भी प्रत्येक चेहरे में बाबा जी साहिब सत् अवगत् मेहरवान के प्रतिबिम्ब के दर्शन करके आनंदित होते हैं। मूर्तिमान तेज की यह मूर्ति मानों 'सकल संसार को प्रेम भक्ति और ज्ञान का सन्देश देने के लिये प्रकट हुई हो। साध पंथ के प्रति समर्पित उनका धर्म और कर्तव्य के लिये सतत् क्रियाशील है। यश-अपयश और हानि-लाभ से अनमिश परम दिव्यावस्था की उत्कृष्ट ऊँचाई पर समाधिरथ बाबा साहिब अपने अन्तर पटल में आध्यात्मिक रहस्यों की कितनी परतें छिपाये हुये हैं। निरंजन निराकार स्वरूप में स्थित इन महान संत बाबा जी साहिब की परख करना कठिन है। बाबा जी साहिब के पास कोई मौलिक आडम्बर नहीं वरन् दिव्य प्रेम और ममता का धन है जिसे वे अपने साधों पर लुटा रहे हैं।
वह जोगीदास तुम जुगति करि देख लेऊ। गजहस्त के शीश सबलदास बैठ्यो।।
सत अवगत
सतगुरु बाबा उमेश दास जी साहिब साक्षात् परमानन्द हैं जो स्वयं सच्चिदानर स्वरूप है, आनन्द के विग्रह है और मूर्तिमान आनन्द हैं। जिनके सानिध्य मात्र से जीव आत्मा चिदानन्द, चिन्मय और परमानन्द स्वरूप हो जाता है। उन परम आराध्य सतगुरु बाबा उमेश दास जी साहिब के चरणों की बार-बार वन्दना। दिव्य प्रकाश से जिनका हृदय उद्मासित हो रहा है और जिनके लिये समस्त संसार तीर्थ के समान हैं, समस्त जस गंगाजल है, जिनके लिये समस्त जीव शरीर देव तुल्य हैं। जिनके लिये हर जीव में प्रिय प्रभु विराजमान हैं ऐसे तेज स्वरूप सतगुरु उमेश दास जी साहिब के श्री चरणों में पुनः बार-बार डंडोत।